किसी गाँव में एक साथ दो दो बारात पहुचती है ,,एक घराती पुराना रईस तो था पर दूसरे की तरह अद्यतन व्यवस्था नहीं थी ,, चकाचक व्यवस्था वाले घराती के दरवाजे भीड़ अचानक बढ़ने लगती है ,,पहले तो उसे अपनी व्यवस्था पर फक्र हुआ ,,लेकिन ,,,क्या सबका सत्कार भी चकाचक हो पायेगा ,,सनद रहे बाराती तो थाली में विस्वास रखता है ,,थाती तो दूल्हे दुल्हन के लिए ही होते है।
शनिवार, 31 जनवरी 2015
गुरुवार, 15 जनवरी 2015
काशी को यूं तो लघु भारत कहा कहा जाता है पर है ये लघु विश्व । निश्चित रूप से यहाँ की प्राकृतिक सम्पन्नता ने बाबा भोलेनाथ को इस कदर मोहित किया कि वो यहीं के होकर रह गए , कण कण में शिव का वास है । यहाँ गंगा वरुणा और असि वर्तमान में तीन नदिया हैं । वरुणा और असि ही वो दो नदियां हैं जिनके नाम पर वाराणसी इस शहर को कहा जाता है । हम सबके अथक प्रयास से ,,भोले बाबा के शुभाशीष और काशी के युवाओं और बुद्धिजीवियों के बलबूते पिछले चार साल के अनवरत पहल और सार्थक सोंच से शासन प्रसाशन के कान में भरी खोंट को ढीला ही नहीं वरन इस कदर उनके नाक में दम कर दिया गया था कि असि के उद्धार की बात शुरू हो गयी थी । इसके लिए नगर निगम को धन भी मिल चुका था । लोकसभा चुनाव के समय असि काशी की प्रमुख मुद्दों में रही । अभी कल के दैनिक जागरण के पहले पन्ने पर काशी की तीनों नदियां होंगी संरक्षित उनके किनारे घाट बनेंगे ,ऐसा पढ़ने को मिला ।मन गदगद हुआ । इधर चुपचाप असि नदी को पाइप डाल कर साकेतनगर में पाटा जा रहा है । पूर्व में माननीय मुख्यमंत्री जी खुद कई बार असि उद्धार की बात कर चुके हैं फिर भी अधिकारी इसे पाटने की घटिया हिमाकत कर रहे हैं । काशी के आस्थवानो ,नागरिको ,बुद्धिजीवियों एवं युवाओं से अपील है है कि असि नदी के पाटे जाने के विरोध में आगे आएं । इसी क्रम में असि बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा कल से काशी के युवाओं ,बुद्धिजीवियों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं ,जनप्रतिनिधियों एवं धर्मगुरुओं से घर घर जाकर उनका लिखित विचार लिया जायेगा जिसे काशी की आवाज बना देश और प्रदेश के नीति नियंताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा । असि हर हाल में रहेगी ।
लिखित विचार abss.kashi@gmail.comपर भी भेजा जा सकता है । सबसे गुहार है कि असि उद्धार के इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाये ,अपनी सहभागिता सहर्ष सुनिश्चित करें ।
लिखित विचार abss.kashi@gmail.comपर भी भेजा जा सकता है । सबसे गुहार है कि असि उद्धार के इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाये ,अपनी सहभागिता सहर्ष सुनिश्चित करें ।
मंगलवार, 16 दिसंबर 2014
गंगा माँ है अजीर्ण है अविरल है। एक संस्कृति है अध्यात्म है ,जीवनधार है इसलिए परम धर्म है । यह जीवन शैली है ,,आचार है विचार है ,सहयोग है और समृद्धि भी । इसमें नहाना मना हो जाय,इसके आँचल में शव दाह बंद हो जाय ,,,पशु पक्षियों का कलरव बंद हो जाय ,,,कुछ दिन बाद इसके दर्शन भी बंद कर दिए जाय ,,तो उस बच्चे लिए माँ कैसी ,,,अरे क्यों ढोंग करते हो ,,हैशियत हो तो बंद करो आंध बाँध ,,छोडो इसके अविरल धारा को ,,,और हां इसके लिए आंदोलन रत वातानुकूल माहौल में रहने वाले नाटककारों ,,खुली हवा में सास लेने का माद्दा पैदा करो ,,,फिर गंगा तुम्हारी थी ,,तुम्हारी है और तुम्हारी रहेगी ,,,,,
गुरुवार, 11 सितंबर 2014
ऐसा ताकतवर नेता भारत में अब तक पैदा नहीं हुआ,, इतना कर्मठ ,इतना जुझारू ,, ईश्वर भी बड़े बेरहम हैं ,,काश ऐसे कद्दावर नेता स्वतंत्रता संग्राम के समय ही पैदा हो गए होते तो देश सौ बरस पहले ही आजाद हो गया होता । या कहे कि गुलाम ही नहीं होता तो ज्यादा सटीक रहेगा । अंग्रेजों की फौजों को तो डांट के भगा देता ,,क्या बाबर क्या अकबर और कैसा औरंगजेब ,,पानी भरवा देता सबसे ,,हाँ ,, कह देते हैं ,,,,,अब आया है एशिया भर में शासन करेगा ,,पांच सौ बरस पहले ही ये घोषणा हो चुकी थी ,,अब क्या, फिर काबुल,गंधार ,और कैकेय अपना समझो । याद रहे ये सर सैयद भी रहे हैं ,,खाली हिन्दू ही इन्हे अपना समझने की भूल न करे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सबका मालिक एक है ।
मंगलवार, 19 अगस्त 2014
हनी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ने वाला लड़का अपने लैपटॉप पे फेसबुक साइन इन किया ही था कि एक ऑनलाइन दोस्त ने परीक्षा की तारीख बताकर उसका मूड खराब कर दिया । तब तक किसी तरह उसे एक पेज लाइक करने का ऑफर मिल जाता है ,,बिना सोचे समझे लाइक कर तो दिया पर उसे क्या पता की ये उसके गले की हड्डी बन जाएगी ,,,अब परीक्षा का नाम सुन मूड खराब था ही, सोचा देखते है ,इसमें क्या है ,,शायद कुछ मनोरंजक और ध्यान बटाउँ मिल जाय ,,पर निराशा थी ,,कही कही एकाक प्रेम कहानियां मिली जो थोड़ा अच्छा लगने की उम्मीद जताती लेकिन इतने नैतिक और समर्पित मूल्यों का समावेश, उसे उबा देता । इतने में कोई दरवाजा पीट रहा था ,काल बेल बजाने की बजाय सायकिल की घंटी बजा रहा था ,,हाँ सायकिल की हैंडल में मिठाई का डब्बा जरूर लटक रहा था ,,हनी दरवाजा खोला ,,,अरे फूफा जी ,,,आइये ,आइये ,,हनी को फूफाजी की लाई हुई मिठाइयां बहुत पसंद थी उसकी बूआ जो अपने भतीजे के लिए भेजती थी ,,,,तब तक हनी का एक दोस्त आ जाता है ,,अरे यार तेरे घर इतनी पुरानी सायकिल किसकी है ,,,हनी की घिघ्घी बध जाती है ,,,थोबड़ा लटक जाता है ।
रविवार, 1 जून 2014
अइसने बनैले से बढ़िया बिगरले बा ये कल्लू ,,,रामनाम गुरु चिचियाना शुरू किये थे ,,,अपने खाय त मलाई अ दूसर खाय त कोलेस्ट्रॉल ,,,बा राजा बनारस ,,,काल्हि ले दूसरे के दुकाने पे खटत रहल मटरू क नन्हका लइकवा त चोर रहल ,,अब कइसन करेजे में समववले हौवा जब से तोहरे दुकाने पर चाय बाटे लगल ,,,,,हम कहे कि इतना काहे परेशान हैं भाई ,,अगर ऊ असल में चोर होइ ,,त इन्हे इतने करीने से भिड़ाई कि नानी याद आ जाई ,,,नहीं त ,,,,,,,,,
बुधवार, 14 मई 2014
रामनाम गुरु की ज़ुबानी ,उनके चच्चा की कहानी ,,,,,,,,,आजी बतावे कि हमरे चच्चा कल्लु महराज क कइ बार बियाह होत होत कटि गयील ,,,जब अन्तिम बेर ओनकर बियाह तय भयल ,,,त उ बडा चौकन्ना रहलै ,,कुल जिम्मा खुदि उठावे ,,,जहॉं दू लोग बतियाये, कल्लू चच्चा पहुच जाये ,,,क भाई सब ठिक बॉ न ,,हालत इ भईल कि बारात पहुँचल ,द्वारपूजा के टाइम दु दू बेर कल्लु महराज पेशाब करे के बहाने उठी उथी जाय देखे ,,कवनों काटै मे त ना लागेल हवें बियहवा ,,,अबकी बार उनके ये हरकत से लइकिए वालेन के लागेल कि लइके मेन कुछ गडबडी बा ,,चढ़ल भड़ेहर उतर गईल ,,,बियाह फ़िर गइल ,,लौटत क आपने हथवे कल्लु महराज मौउर नौच के सुग्गा सुग्गी सहित गंगाजी मे बहा देहलन ,,ऊनके उप्पर गईलें बहुत दिन हो गईल ,,लेकिन आज भी गॉंव मे इ जुम्ला दौरत रहला ,,तेशी तशा मेँ ,,,कि ,,,,कल्लु महराज मतीन चढ़ल भड़ेहर उतार देब ,,,बा रे रामनाम गुरु कहाँ कहाँ से खोज के निकालें ला मरदवा ,,,,,,,,,,,,
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