गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

ये पैसे वाले भी न, क्या गजब हैं ,,सरे राह अपने  हिस्से की गर्मी दूसरे को झेलने को मजबूर ही नहीं करते  बल्कि झेलवाते हैं वो भी डंके की चोट पर । बनारस बहुमंजिली इमारतों का गढ़ बनता जा रहा है ।  जहाँ पर भी खाली जमीन मिली ये तथाकथित अत्याधुनिक धनकुबेर वहां सर से टोपी गिरा देने वाली  ईमारत बनाने को बेताब से हैं से हैं। अब  इन बहुमंजिली इमारतों में प्राकृतिक हवा पानी तो  मिलने से रहा।  बनारस जमीन के दलालों की तो लगभग विश्वस्तरीय मंडी बन चुका  है। सबसे आसान  काम है न हर्रे लगे न फिटकरी रंग चोखा। 
दादी माँ के  नुस्खे भी अब क्योटो वाले होंगे । 

शनिवार, 4 अप्रैल 2015

गरीबों की झुग्गी झोपड़ियों में सौ पचास रुपये की कलम किताब बाँट कर अपने ईटों को टाइल्स में तफदील करने के सपने सहेज  समाज कल्याण विभाग के दफ्तरों  में चक्कर लगाने और अधिकारियों  की चापलूसी करने वाले कालनेमी सरीखे तथाकथित आज के समाज सेवियों की  बुद्धि- शुद्धि लिए श्रद्धेय नारायण देसाई पर  यह लेख सुन्दरकाण्ड ही नहीं समूचा मानस पाठ है । 

शनिवार, 31 जनवरी 2015

किसी गाँव में एक साथ  दो दो बारात पहुचती है ,,एक घराती पुराना रईस तो था पर दूसरे की तरह अद्यतन व्यवस्था नहीं थी ,, चकाचक व्यवस्था वाले घराती के दरवाजे भीड़ अचानक बढ़ने लगती है ,,पहले तो उसे अपनी व्यवस्था पर फक्र हुआ ,,लेकिन ,,,क्या सबका सत्कार भी चकाचक हो पायेगा ,,सनद रहे बाराती तो थाली में विस्वास  रखता है ,,थाती तो दूल्हे दुल्हन के लिए ही होते है। 

गुरुवार, 15 जनवरी 2015

काशी को यूं तो लघु भारत कहा  कहा जाता है पर है ये लघु विश्व । निश्चित रूप से यहाँ  की प्राकृतिक सम्पन्नता ने बाबा भोलेनाथ को इस कदर  मोहित किया कि वो यहीं के होकर रह गए , कण कण में शिव का वास है । यहाँ गंगा वरुणा और असि वर्तमान में तीन नदिया हैं । वरुणा और असि  ही वो दो नदियां हैं जिनके नाम पर वाराणसी इस शहर को  कहा जाता है । हम  सबके  अथक प्रयास से ,,भोले बाबा के शुभाशीष और काशी के युवाओं और बुद्धिजीवियों के बलबूते पिछले चार साल के अनवरत पहल और सार्थक सोंच से शासन प्रसाशन के कान में  भरी खोंट को ढीला ही नहीं वरन इस कदर उनके नाक में दम कर  दिया गया था कि असि  के उद्धार की बात शुरू हो गयी थी । इसके लिए नगर निगम को धन भी मिल चुका  था । लोकसभा चुनाव के समय असि  काशी की प्रमुख मुद्दों में रही । अभी कल के दैनिक जागरण के पहले पन्ने  पर  काशी की तीनों नदियां होंगी संरक्षित उनके किनारे घाट बनेंगे ,ऐसा पढ़ने को मिला ।मन गदगद हुआ ।  इधर चुपचाप असि नदी को पाइप डाल कर साकेतनगर में पाटा जा रहा है । पूर्व में माननीय मुख्यमंत्री जी खुद कई बार असि उद्धार की बात कर चुके हैं फिर भी अधिकारी इसे पाटने की घटिया हिमाकत कर रहे   हैं । काशी के आस्थवानो ,नागरिको ,बुद्धिजीवियों एवं युवाओं से अपील है  है कि असि नदी के  पाटे  जाने के विरोध  में आगे आएं । इसी क्रम में असि  बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा कल से काशी के युवाओं ,बुद्धिजीवियों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं ,जनप्रतिनिधियों एवं धर्मगुरुओं से  घर घर जाकर उनका लिखित विचार लिया जायेगा जिसे काशी की आवाज बना देश और प्रदेश के नीति नियंताओं के  समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा । असि हर हाल में रहेगी ।
            लिखित विचार abss.kashi@gmail.comपर भी भेजा जा सकता है । सबसे गुहार है कि असि उद्धार के इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाये ,अपनी सहभागिता सहर्ष सुनिश्चित करें । 

मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

गंगा माँ है अजीर्ण है अविरल है। एक संस्कृति  है अध्यात्म है ,जीवनधार है  इसलिए परम धर्म है । यह  जीवन शैली है ,,आचार है विचार है ,सहयोग है  और  समृद्धि भी । इसमें नहाना मना हो जाय,इसके आँचल में  शव दाह बंद हो जाय ,,,पशु पक्षियों का कलरव बंद हो जाय ,,,कुछ दिन बाद इसके दर्शन भी बंद कर दिए जाय ,,तो उस बच्चे लिए माँ कैसी ,,,अरे क्यों  ढोंग करते हो ,,हैशियत हो तो  बंद करो आंध बाँध ,,छोडो इसके अविरल धारा को ,,,और हां इसके लिए आंदोलन रत वातानुकूल माहौल में रहने वाले  नाटककारों ,,खुली हवा में सास लेने  का माद्दा पैदा करो ,,,फिर गंगा तुम्हारी थी ,,तुम्हारी है  और तुम्हारी  रहेगी ,,,,,

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

ऐसा ताकतवर नेता भारत में अब तक पैदा नहीं हुआ,, इतना कर्मठ ,इतना जुझारू ,,  ईश्वर भी बड़े बेरहम हैं ,,काश ऐसे कद्दावर नेता स्वतंत्रता  संग्राम के समय ही पैदा हो गए होते  तो देश सौ बरस पहले ही आजाद हो गया होता । या कहे कि गुलाम ही नहीं होता तो ज्यादा सटीक रहेगा ।  अंग्रेजों की फौजों को तो  डांट के  भगा देता ,,क्या बाबर क्या अकबर और कैसा औरंगजेब ,,पानी भरवा देता सबसे ,,हाँ ,, कह देते हैं ,,,,,अब आया है  एशिया भर में शासन करेगा ,,पांच सौ बरस पहले  ही ये घोषणा हो चुकी थी ,,अब क्या, फिर काबुल,गंधार ,और कैकेय अपना  समझो । याद रहे ये सर सैयद भी रहे हैं ,,खाली हिन्दू ही इन्हे अपना समझने की भूल न करे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सबका मालिक एक है ।