जायका एक जापानी कंपनी ने भारत को पांच सौ करोड़ दिए हैं क्या नदियाँ पाटने के लिए वो भी वो कर्ज के पैसे हैं खैरात के नहीं । असि नदी को पाटने और उसे सीवर लाइन से प्रवाहित करने के लिए जायका से ये ठेका गंगा प्रदूषण इकाई ने ले रखा था और उसके वही जी एम् साहब जिसे डीएम ने हैसियत में ला दिया मुखिया रहे । नदी को सीवर में डालने का विरोध जब असि बचाओ संघर्ष समिति के लोगों ने किया तो आनन् फानन में नगर आयुक्त ने कार्य रोकने का आदेश दिया पर अब भी चोरी छुपे पाइप डाली जा रही है । उन्हें पुनः ये चेतावनी है की होश में रहे । मुझे समझ में नही आता इस देश के नुमाइंदों को हो क्या गया है ये देश को पाटने पर क्यों तुले हैं । इस देश में हर समस्या के लिए आँख मूद करोड़ों अरबों के पैसे दे दिए जा रहे हैं पर उसे देखने वाला कोई नहीं की काम हो भी रहा है की नहीं ,सड़क बदहाल पानी बदहाल ,जन जीवन बदहाल ,और हर परेशानी पर अरबों के बजट लिए रस्ते के बाबू से ले लेकर ठेके दार तक की कोठियां तनती जा रही हैं । ४९६ करोड़ का जायका का प्रजेक्ट आगे देखिये क्या क्या रंग लाता है किसकी कोठी कितनी तनती है ।