शुक्रवार, 22 मार्च 2013

महोदय
क्रिश्नायातन कोलोनी ,सामने घाट ,(परमहंस आश्रम  के पास )लंका ,वाराणसी  निवासिनी ज्योति देवी पत्नी चितरंजन सिंह (९ ९ ३ ६ ४ ९ ७० ८ ५ )   एवं उर्मिला देवी पत्नी विजय सिंह  (७ ३ ७ ६ १ ६ १ १ ५ ३ )ने रामनगर  थाना क्षेत्र अंतर्गत  कोदोपुर में  स्थानीय वकील   मुरारी लाल यादव के मार्फ़त जमीन ले रखी थी ,  इन लोगों ने अपनी जमीन को घेर रखी थी ,कुछ दिन पहले कुछ लोगों ने उसे अपनी जमीन बताते हुए जमीन को घेरने  हेतु लगे  पिलर को  भूपेन्द् वगैरह  ने क्षतिग्रस्त किया  था तो प्रार्थिनी द्वय ने रामनगर थाने को सूचित कर गुहार लगाई थी ,उस पर थाने  से एक दीवान मौके  पर पहुच  कर तत्काल काम रोकने को कह गए थे । सब  कुछ  शांत चल रहा था की अचानक गत रात्रि को ( २२ -३ -२०१ ३ )को जमीन की ईंटे से चाहर दीवारी रातोरात खडी कर दी  गयी है । पूरा मामला इन महिलाओं के विरूध्ह  है ।
 अतः इसे संज्ञान में लेते हुए मौके का मुआयना  करा इन्हें न्याय दिलाने की   । 

बुधवार, 20 मार्च 2013

यह कहना शायद कत्तई गलत नहीं होगा की वर्दी की निगाहें जब भी टेढ़ी होती हैं तो किसी गरीब की ठेले खोमचे  की गाढ़ी कमाई से बनी कोठरी ही घायल होती है हताहत होती है ,देखना है की क्या किसी अट्टालिका पर भी फेसबुक वर्दी की भौहें टेढ़ी कर पाता है ,,,पूरा बनारस ही अतिक्रमण से भरा पटा  है ,और उसमें नगर निगम और विकास प्राधिकरण के लोग भी शामिल हैं ,इतना ही नहीं बाकायदा नेम प्लेट लगाये हुए हैं ,नदियों की सुरक्षा के लिए सरकारे नाटक कर रही हैं ,दो सौ मीटर गंगा ,सौ मीटर वरुना और पचास मीटर असि के दोनों तरफ निर्माण प्रतिबंधित है ,वाराणसी विकास प्राधिकरण का लिखित जवाब में जैसा बताया है ,,,,,वही सरकार असि नदी ही पटवा रही है ,,,,,,,,ऐसे बहुतायत सवालों से भी दो चार होना है ,,,,,,
ईश्वर धैर्य प्रदान करे विभाग को सबको सुन पढ़ सके ,,,,,,,,,बधाई

मंगलवार, 19 मार्च 2013

प्रदेश में सत्तासीन राजनैतिक संगठन के पूर्व सांसद पर भी मदमस्त होकर  चलती बोगी में ,,,,आज कल अख़बारों में छाये सतकर्म करने का आरोप लगा ,,,सांसद महोदय सरेराह गिरफ्तार कर लिए गए ,,,,उनके सीने में दर्द तो उठानी ही थी ,जो नियति समय पर उठी ,फलतः उन्हें नजदीक के अस्पताल का मुह देखना पड़ा ,,,,,,तब तक आरोप लगाने वाली देवी आरोप वॉपस ले लीं ,,,,उधर सांसद महोदय चंगा हो गए और अस्पताल से छुट्टी पा लिए ,,,,,,न जाने कौन छला गया देवी जी या संविधान ,,,,,,,,

रविवार, 17 मार्च 2013

मटरू बड़बडाये जा रहे थे ,,,इ साला चाहे जेकर सरकार आवे ले हजारो लाखों में भर्ती निकाले न सब के सब ,लेकिन इम्मे बहाली केकर होल इ समझना बड़ा कठिन हौ ,,,स्थिति जस क तस ,,,अपने रामनाम गुरु काहे माने ,,कुल सवाल क जवाब  हम देब तोहके मटरू ,तू हवा बक,,, ऐसही चिल्लाला,,,,देखा हमरे देश में पैसा क आगम त रही न ई गयल ,,उप्पर से लेपटोप बातेके होउ ,बेरोजगारी भत्ता देवे के हाउ ,बृद्धा पेंशन देवे के हाउ ,विधवा पेंशन देवे के हाउ ,कन्या विद्याधन देवे के हाउ ,,केहू एसपी डी एसपी लडल ,भिडल टी ओके अशर्फी बाते के हाउ ,,टी आई कहा से ,,अब निकल दा झौवा भर के बहाली ,,इ कशम खा के की कुछ होए ना देवे के हाउ ,,सबके देदा छूट की एक आदमी कई जगह से फरमवा भर सकला ,,,बस अब का इ भारत हाउ ,एक एक जाने कर्ज ले ले के बीस बीस हजार रुपया तक क फारम भरिहे ,,सरकार केतना के खैरात बाटी ,,,सब चंगा ,,,,हां अपने ही एक आदमी के लगाय के इलाहाबाद के न्याय घरवा में एक थे केश थोक्वा देवे के हाउ ,सब बहाली रुक जाई ,,,,,,रे लगे न फिटकिरी माल चोखा ,,,,,,,,,मटरू उलट गए ,,,तूत ज्ञाने खोल देहला ये रामनाम पंडित,,,,,,

मंगलवार, 5 मार्च 2013

एक नदी की हत्या का जुर्म सरकार पर
असि एक नदी है इसको मनवाने में डेढ़ बरस लग गये। पता नहीं किसने माना किसने नही । शुक्र है की वाराणसी शहर के नाम से असि जुडी हुई है अथवा ,,,। सरकार भी मान गयी की यह नदी रही और इसके साथ अत्याचार हुआ है फलतः इसके उद्धार के लिए निश्चित कदम उठाए जायेंगे । सरकारे हर सामाजिक कार्य हेतु पैसा जारी करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है ,अतः इसके उद्धार के लिए भी ८ करोड़ ९ लाख रूपये पास कर चुप्पी साध ली गयि। अख़बारों में बड़ी खबर आयी की असि फिर से होगी जीवित । तीन चार दिन पैमाइस भी हुआ ,लगा सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है अब इस नदी को इसकी अस्मिता मिल ही जाएगी । अचानक पता नहीं क्या बिगडा ,पैमाइस कार्य बंद हुआ ,किसके आदेश से शुरू हुआ था ,और किसके आदेश से बंद हुआ भगवान् ही जाने । अचानक कुछ दिन बाद बड़ी बड़ी पाइप दाल इसे पाटने का काम शुरू हो गया । अधिकारीयों ने ये जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा की जनता को क्या जवाब देंगे जब वो पूछेगी की अभी तो आप इसे पुनर्जीवित कर रहे थे आज अचानक इसे मुर्दा करने पर क्यों तुले हुए हैं । गंगा प्रदूषण की इकाई को ये काम मिला हुआ है ,अब तक तो नदी पट चुकी होती लेकिन अपनी हैसियत पर ला दी है पाटने वालों को आये दिन एक नयी मुसीबत झेल आज तक एक भी पाइप पड़  नहीं पायी है । कारन सारे पापों का नाश करने  वाली  इस नदी  को ही लोगों ने नाश करने की  ली है । क्षमा कीजियेगा कभी कभी तो अफ़सोस होता है की मैं इस नदी को बचा तो नहीं पाया लेकिन हाँ इसके अस्तित्व तक का नाश कराने में मेरी भूमिका जरूर है । लेकिन एक बात स्पष्ट रूप से कह देना जरुरी है की एक पौराणिक नदी की हत्या के जूर्म से सरकार अपने को कभी उबार नहीं पाएगी ,इसका बुरा करने वालों का नाश होना तय है । मामला उच्च न्यायलय में है देखिये क्या होता है ,,,,सर्कार ३० २ झेलती है या ३०७ ,,,,,झेलना तो है ,,,,,,