अंगद रावण संवाद टाइप में रामनाम गुरु और मटरू गुरु लड़ गए ,असल में ये लोग का जजमानी का पुस्तैनी झगड़ा जो है ,,,दोनों सायकिल से उतरते ही ,,का रामनाम आज केतना लहल ,,,रामनाम मटरू पे फायर ,,हम आज ले तोहसे कभहों पुछलि की तोहके केतना लहल ,त तू के होल पूछे वाला,,,,,,,,पीछे से झगड़ा छुड़ाने वाले मूड में ,बल्ली परधान अवतरित होते हैं ,,पहलवानन के पार्टी में उनके समधी मंत्री रहे हैं ,,आज भी उनका माहौल चोखा ही रहता है ,,चिल्लाये,,,
अरे कहे बाभन लोग आपसे में लड़त हौवा ,,,
इतने में रामनाम का संवाद ,शुरू ,,,
जा जा तू अपने प्रचार में के केतना समझदार हाउ हमके पता हाउ ,,परकटे लउकत हाउ देषवे लूटत ,,तब्बू वही के पीछे पग्लयाल बड़ा ,,ढेर परधानी मत बघारा हमारे आगे ,,,,हम त केजरिये के नीक जानी ल ,,कम से कम गोली बन्दूक वाला नहीं न हौ ,,
पता नहीं क्या जादू हुआ ,,मटरू भी सुर सुर में सुर मिलाये ,,पर मामला गंभीर ,,,
जा ओहिके पीछे जजमानियो के तोहार कमाई चंदा में माँगी लेई ,,,,,
रामनाम का गुस्सा सातवे आसमान पर ,,,,,देश बनावे खातिर केहू कुछ करे ओकरे लिए हमेशा तैयार है ,,तोहरे जइसन न हई ,,,की हम खाई और हमार बर्धा खाय ,,बस
मटरू खौआए फिर भी सँभालते हुए,,,देखा रामनाम ऐबों संभल जा ,,,विकाश पे आवा ,,विकाश पे ,,,
रामनाम ,,,,कइसन तोहार विकाश हो ,,,,आपन विकास कहा त मान जाई,,,,चायेड़ी देश सेवा के नाम पे जो चमचमात कुरता पहिराला ,,वोकर कीमत और सिलाई औ धुलाई क कीमत जनबा त बेहोश हो जैबा ,,,ढेर मत बोला ,,,,केजरीवाल चाहत त कवन आराम ओके न मिळत लेकिन मरियल नीयर एक ठे सैट पैंट पहिं के देषवे धांगत हौ ,,,,
मटरू अब क्यों चुप रहे ,,,,,तब्बे त सगरों पिटात फिरत हौ ,,,
अब रामनाम लगभग मुह तोड़ लेने वाली मुद्रा में,,,,सुना सुना ओकरे सज्जनता क फायदा उठावत हौवा लोग ,,एक से बढ़ के एक बारूद बोये वाले यही से लडलं ,,केकरे सौहड़ हौ ,,आँख देखाय देही,,,आँखिये निकल जाए क डर हव ,,,,तो लोग के शर्म न आवत हौ ,सबके टोपी पहिरे सिखाय देहलस ,,,हाथ जोरे सिखाय देहलस ,,,,
मटरू ,,डरपोक बा न
रामनाम सुना सुना अब सूनी के जा,,,,झुकला वही जेकरे जान होल ,अकड़ल रहब मुर्दन क पहिचान होल,,
इस ब्रम्ह संवाद को तूल पकड़ता देख बल्ली परधान खिसक लिए ,,,ई स केहूके न छोड़ीहे ये भाई
अरे कहे बाभन लोग आपसे में लड़त हौवा ,,,
इतने में रामनाम का संवाद ,शुरू ,,,
जा जा तू अपने प्रचार में के केतना समझदार हाउ हमके पता हाउ ,,परकटे लउकत हाउ देषवे लूटत ,,तब्बू वही के पीछे पग्लयाल बड़ा ,,ढेर परधानी मत बघारा हमारे आगे ,,,,हम त केजरिये के नीक जानी ल ,,कम से कम गोली बन्दूक वाला नहीं न हौ ,,
पता नहीं क्या जादू हुआ ,,मटरू भी सुर सुर में सुर मिलाये ,,पर मामला गंभीर ,,,
जा ओहिके पीछे जजमानियो के तोहार कमाई चंदा में माँगी लेई ,,,,,
रामनाम का गुस्सा सातवे आसमान पर ,,,,,देश बनावे खातिर केहू कुछ करे ओकरे लिए हमेशा तैयार है ,,तोहरे जइसन न हई ,,,की हम खाई और हमार बर्धा खाय ,,बस
मटरू खौआए फिर भी सँभालते हुए,,,देखा रामनाम ऐबों संभल जा ,,,विकाश पे आवा ,,विकाश पे ,,,
रामनाम ,,,,कइसन तोहार विकाश हो ,,,,आपन विकास कहा त मान जाई,,,,चायेड़ी देश सेवा के नाम पे जो चमचमात कुरता पहिराला ,,वोकर कीमत और सिलाई औ धुलाई क कीमत जनबा त बेहोश हो जैबा ,,,ढेर मत बोला ,,,,केजरीवाल चाहत त कवन आराम ओके न मिळत लेकिन मरियल नीयर एक ठे सैट पैंट पहिं के देषवे धांगत हौ ,,,,
मटरू अब क्यों चुप रहे ,,,,,तब्बे त सगरों पिटात फिरत हौ ,,,
अब रामनाम लगभग मुह तोड़ लेने वाली मुद्रा में,,,,सुना सुना ओकरे सज्जनता क फायदा उठावत हौवा लोग ,,एक से बढ़ के एक बारूद बोये वाले यही से लडलं ,,केकरे सौहड़ हौ ,,आँख देखाय देही,,,आँखिये निकल जाए क डर हव ,,,,तो लोग के शर्म न आवत हौ ,सबके टोपी पहिरे सिखाय देहलस ,,,हाथ जोरे सिखाय देहलस ,,,,
मटरू ,,डरपोक बा न
रामनाम सुना सुना अब सूनी के जा,,,,झुकला वही जेकरे जान होल ,अकड़ल रहब मुर्दन क पहिचान होल,,
इस ब्रम्ह संवाद को तूल पकड़ता देख बल्ली परधान खिसक लिए ,,,ई स केहूके न छोड़ीहे ये भाई