रामनाम गुरु की ज़ुबानी ,उनके चच्चा की कहानी ,,,,,,,,,आजी बतावे कि हमरे चच्चा कल्लु महराज क कइ बार बियाह होत होत कटि गयील ,,,जब अन्तिम बेर ओनकर बियाह तय भयल ,,,त उ बडा चौकन्ना रहलै ,,कुल जिम्मा खुदि उठावे ,,,जहॉं दू लोग बतियाये, कल्लू चच्चा पहुच जाये ,,,क भाई सब ठिक बॉ न ,,हालत इ भईल कि बारात पहुँचल ,द्वारपूजा के टाइम दु दू बेर कल्लु महराज पेशाब करे के बहाने उठी उथी जाय देखे ,,कवनों काटै मे त ना लागेल हवें बियहवा ,,,अबकी बार उनके ये हरकत से लइकिए वालेन के लागेल कि लइके मेन कुछ गडबडी बा ,,चढ़ल भड़ेहर उतर गईल ,,,बियाह फ़िर गइल ,,लौटत क आपने हथवे कल्लु महराज मौउर नौच के सुग्गा सुग्गी सहित गंगाजी मे बहा देहलन ,,ऊनके उप्पर गईलें बहुत दिन हो गईल ,,लेकिन आज भी गॉंव मे इ जुम्ला दौरत रहला ,,तेशी तशा मेँ ,,,कि ,,,,कल्लु महराज मतीन चढ़ल भड़ेहर उतार देब ,,,बा रे रामनाम गुरु कहाँ कहाँ से खोज के निकालें ला मरदवा ,,,,,,,,,,,,