गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

युवाओं के नाम पाती ……
युवा सोंच अरोक होती है । युवा अपरिवर्तनशील में भी परिवर्तन कि क्षमता रखता है । अवसर बनाता है अवसर उसके लिए न तलाशने का विषय होता है न ही इन्तजार का ।युवा अतिसंवेदनशील एवं नितांत त्यागी  होता है । उससे बेहतर लोकसेवी की उम्मीद नहीं  की जा सकती है । देश कि सीमा पर  नौजवान होता है और देश के खेत और  खलिहानों में खून पसीने एक कर देश का पेट भी नौजवान ही भरता है । नौजवान विवेकानंद   होता है ,नौजवान सुभाषचंद्र और भगत होता है , कहीं गांधी तो  कहीं पटेल होता है और हर कुछ से पहले वो   बिगड़ों की नकेल होता है ।
आज देश में हर जगह युवाओं के लिए चिल्लहट लगाए जा रहे हैं ,युवा मौन है क्योंकि युवाओं के लिए ,, न फूलपुर होता है न गुजरात होता है उसके लिए  देश ही सबसे बड़ा सौगात होता है ,,। कहीं कहीं युवाओं   के स्वछन्द आकलन करने कि युवा क्षमता से भयग्रस्त उसे झंडाबरदार  और खूटे से बधने कि सलाह देते हैं । लेकिन आज समय आ गया है जब युवा अपनी सोच पर जिए । केंद्रीय और राजकीय राजनीती में अपनी सक्रियता का आभास कराये वो भी  बेझंडा होकर । लगभग एक दशक पहले एक बुजुर्ग मनीषी ने एक सवाल मुझसे किया कि ,,तुम किस धारा के हो ,,मेरा अगंभीर जवाब उन्हें बड़ा गम्भीर कर दिया ,,,मैं धारा में नहीं धरा में आस्था रखता हूँ ,,मैं  बेधार ही सही लेकिन जिस धारा में धरा हो उससे आप मुझे जोड़ सकते हैं ।
अतः आज समय है जब माँ भारती  को पुनः उसके छोटे बेटों की  तलाश है ,,,,युवाओं उठो ,,  क्या गुजरात ,क्या बंगाल ,,पूरा देश तुम्हारे बाँहों में समाने को आतुर है ,,,
हिन्द के नौजवानों उठो शान से ,,,

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

पंडितजी बद्बदाये  जा रहे थे ,,,केतनो रटावा ,,इ सब सूरत हराम हवे, खाली बढ़िया कपडा ,बढ़िया टाई ,बढ़िया फीस ,,पावरोटी वाली टिफिन ,,,,चटनी के पाकिट के साथ ,,,कायदे से गोड़ परत  रहलन ,वोकरे जगह गुड मार्निंग ,,,,इ कुल फुटानी बरदास हो जात अगर कुछ बनी जाते सब ,,,,लेकिन,,,त ,,,,,तब तक पंडिताइन का धैर्य जवाब दे दिया ,,,सबेरे सबेरे लईकन प पर गयला ,,,,कुल कमी हमराही बच्च्वान में दिखाल तोहके ,,,सोना जैसन लईकन क दिन खराब ,,,,पंडित पर्पराए ,,,इ अपने सोनवन के मढ़ा के रख ला ,,,जब सोना महंग होइहें त  कामे आयी ,,,,वैसहू हम खाली तोहरे लईकवन के ही ना कहत है ,,इ देशवे का हाल हौ ,,,,इ सीटी बजावे वाले ज्ञान दूकान प हमार गुस्सा हौ ,,,कुल स्कूल फटाहा कपडा वालन के पढ़वात रहलन ,,,लेकिन कौनो ऐसन न हौ जो एक आ ई एस  ना बनवले हौ ,,अ इ साला शुरुवे में टाई बध्वाय के वोसे ऐसन घिरना पैदा कराय देत हवे की ,,,पढ़ लिख के फटाहा पहिरे बदे परशान हो जान ,,,कौनो के पल्ले के अलावा एक अधिकारी बनावे क इतिहास न बा ,,,कुल खपड़ेल्वे सैक्ड़न क इतिहास बतोराले बाडन ,,,,तबले साइकिल क घंटी बजावले कुरता पहिने दूधवाला चिल्लाया ,,दूध लेल पंडित जी ,,पैसा खोदात हौ ,,देखे के हौ ,,,,,पैसा के नाम पर पंडितजी क गुस्सा फुर्र