शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

पंडितजी बद्बदाये  जा रहे थे ,,,केतनो रटावा ,,इ सब सूरत हराम हवे, खाली बढ़िया कपडा ,बढ़िया टाई ,बढ़िया फीस ,,पावरोटी वाली टिफिन ,,,,चटनी के पाकिट के साथ ,,,कायदे से गोड़ परत  रहलन ,वोकरे जगह गुड मार्निंग ,,,,इ कुल फुटानी बरदास हो जात अगर कुछ बनी जाते सब ,,,,लेकिन,,,त ,,,,,तब तक पंडिताइन का धैर्य जवाब दे दिया ,,,सबेरे सबेरे लईकन प पर गयला ,,,,कुल कमी हमराही बच्च्वान में दिखाल तोहके ,,,सोना जैसन लईकन क दिन खराब ,,,,पंडित पर्पराए ,,,इ अपने सोनवन के मढ़ा के रख ला ,,,जब सोना महंग होइहें त  कामे आयी ,,,,वैसहू हम खाली तोहरे लईकवन के ही ना कहत है ,,इ देशवे का हाल हौ ,,,,इ सीटी बजावे वाले ज्ञान दूकान प हमार गुस्सा हौ ,,,कुल स्कूल फटाहा कपडा वालन के पढ़वात रहलन ,,,लेकिन कौनो ऐसन न हौ जो एक आ ई एस  ना बनवले हौ ,,अ इ साला शुरुवे में टाई बध्वाय के वोसे ऐसन घिरना पैदा कराय देत हवे की ,,,पढ़ लिख के फटाहा पहिरे बदे परशान हो जान ,,,कौनो के पल्ले के अलावा एक अधिकारी बनावे क इतिहास न बा ,,,कुल खपड़ेल्वे सैक्ड़न क इतिहास बतोराले बाडन ,,,,तबले साइकिल क घंटी बजावले कुरता पहिने दूधवाला चिल्लाया ,,दूध लेल पंडित जी ,,पैसा खोदात हौ ,,देखे के हौ ,,,,,पैसा के नाम पर पंडितजी क गुस्सा फुर्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें