काशी को यूं तो लघु भारत कहा कहा जाता है पर है ये लघु विश्व । निश्चित रूप से यहाँ की प्राकृतिक सम्पन्नता ने बाबा भोलेनाथ को इस कदर मोहित किया कि वो यहीं के होकर रह गए , कण कण में शिव का वास है । यहाँ गंगा वरुणा और असि वर्तमान में तीन नदिया हैं । वरुणा और असि ही वो दो नदियां हैं जिनके नाम पर वाराणसी इस शहर को कहा जाता है । हम सबके अथक प्रयास से ,,भोले बाबा के शुभाशीष और काशी के युवाओं और बुद्धिजीवियों के बलबूते पिछले चार साल के अनवरत पहल और सार्थक सोंच से शासन प्रसाशन के कान में भरी खोंट को ढीला ही नहीं वरन इस कदर उनके नाक में दम कर दिया गया था कि असि के उद्धार की बात शुरू हो गयी थी । इसके लिए नगर निगम को धन भी मिल चुका था । लोकसभा चुनाव के समय असि काशी की प्रमुख मुद्दों में रही । अभी कल के दैनिक जागरण के पहले पन्ने पर काशी की तीनों नदियां होंगी संरक्षित उनके किनारे घाट बनेंगे ,ऐसा पढ़ने को मिला ।मन गदगद हुआ । इधर चुपचाप असि नदी को पाइप डाल कर साकेतनगर में पाटा जा रहा है । पूर्व में माननीय मुख्यमंत्री जी खुद कई बार असि उद्धार की बात कर चुके हैं फिर भी अधिकारी इसे पाटने की घटिया हिमाकत कर रहे हैं । काशी के आस्थवानो ,नागरिको ,बुद्धिजीवियों एवं युवाओं से अपील है है कि असि नदी के पाटे जाने के विरोध में आगे आएं । इसी क्रम में असि बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा कल से काशी के युवाओं ,बुद्धिजीवियों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं ,जनप्रतिनिधियों एवं धर्मगुरुओं से घर घर जाकर उनका लिखित विचार लिया जायेगा जिसे काशी की आवाज बना देश और प्रदेश के नीति नियंताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा । असि हर हाल में रहेगी ।
लिखित विचार abss.kashi@gmail.comपर भी भेजा जा सकता है । सबसे गुहार है कि असि उद्धार के इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाये ,अपनी सहभागिता सहर्ष सुनिश्चित करें ।
लिखित विचार abss.kashi@gmail.comपर भी भेजा जा सकता है । सबसे गुहार है कि असि उद्धार के इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाये ,अपनी सहभागिता सहर्ष सुनिश्चित करें ।
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