रविवार, 25 नवंबर 2012

वाराणसी के माननीय जिलाधिकारी ,मीडिया घरों के आदरणीय प्रमुख गणों,एवं जन जन  के नाम खुला पत्र 

            ब्रह्माण्ड की प्राचीनतम नगरियों में शुमार वाराणसी (काशी)सदियों  से मोक्ष दायिनी रही है ।इस वाराणसी के नाम निर्माण में वरुणा और असी दो नदियों का संगम है ।नदियाँ पुरे देश में खस्ता हाल हैं।सरकारें  पैसा खर्च कर रही है लेकिन जन भूमिकाये  हाशियें पर आई हैं ।आज वरुणा और असी दोनों ही नदिया अस्तित्व से जूझ रही हैं ।असी का तो रास्ता तक बदल दिया गया है।
लेकिन ये तथाकथित बुद्धजीवी वर्ग जब नदी को नाला कहना स्वीकार करता है या  है तो हताशा होती है।खासकर असी नदी को आज कई अख़बारों ने नाला संबोधित कर समाचार छापा है,जिससे हमें कोफ़्त है ।अख़बार के लोग अगर ऐसी गलतियाँ करते हैं तो बाकि से क्या उम्मीद किया जाये ।प्रशासन भू माफियाओं की  तरफदारी में लगा है नदियों में बीचोबीच ईमारते तन रही है ।तो भी बनारसी जन गण मन शांत था लेकिन अब  ये घोषित गाली बर्दाश्त नहीं है।
अतः इस पत्र  के माध्यम से देश के नीति नियंताओं तथा  बनारस के माननीय  ज़िला अधिकारी मीडिया प्रमुखों एवं जन जन से ये अनुरोध एवं उम्मीद जताते है की असी नदी को नाला का संबोधन बंद होगा।
सधन्यवाद 
गणेश शंकर 

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