गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

  मुँहे  लगल  लोमड़िया त गावे ताल -बेताल ,,,,,,,,,
रामनाम गुरु चोकरे जा रहे थे ,अब  सरवा इ देश में रहे जोग नहीं हौ ,कुल सारे पंडितन के चूतिया समझे लन ,देखिला अब माई बचल हइन सरऊ क के जाला उनकर पिंडा  परावे ,,,जे के देखा वू हे आजकल विद्वान क पूछ भायल हवे ,अब करावे सार लोग अपने हाथे इंडा -पिंडा । तब तक पीछे से कुदाल लिए उंकार महराज ,,,का ये रामनाम सबेर्वे सबेर्वे का सनकल  हवा मरदवा ,,कहाँ से आवत हुआ ,,,,रामनाम फायर ,,चाहे जहाँ से आवत होई तोहसे मतलब ,,,कुल बात तोहर जानल जरुरी हौ । ,,उनकर गुरु थोड़े गंभीर मलेटरी से रिटायर आदमी ,चुप हुए फिर बोले ,,,,इ झोरा लेके कहा से आवत हवा पाहिले इ बतावा रामनाम ,,,,,रामनाम थोडा शांत हुए ,,,,बाहिरी अहिराने में गयल रहली मकनू क कुल लैकावा बहरे का रहे लगलन सब राष्ट्रपति बूझेने अपने के,,,भायल का,,,होई का सबेरे सबेरे सुनली कि उनकर माई मर गइलीं त सोचली पुराण जजमान हवे बिना बोलवले चल गईली ,,,उहा कुल दिल्ली से फटहवा जींस पहिर के आयल हवे कहत हवे इ सब लोकाधंधन न होई,,,ओन्हन के समझावे लागली त  कुल अंग्रेजी झारे  लगलन ,,फिर का तुम तुम ,,कह के बोले लगलन ,,,हमहू दतली जोर से ,,,मुहे लागल लोमड़िया त गावे ताल-बेताल ,,अ चली ईली घरे ,,तबले तू टपक परल,,,,,,,,,,

2 टिप्‍पणियां:

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