शनिवार, 4 अप्रैल 2015

गरीबों की झुग्गी झोपड़ियों में सौ पचास रुपये की कलम किताब बाँट कर अपने ईटों को टाइल्स में तफदील करने के सपने सहेज  समाज कल्याण विभाग के दफ्तरों  में चक्कर लगाने और अधिकारियों  की चापलूसी करने वाले कालनेमी सरीखे तथाकथित आज के समाज सेवियों की  बुद्धि- शुद्धि लिए श्रद्धेय नारायण देसाई पर  यह लेख सुन्दरकाण्ड ही नहीं समूचा मानस पाठ है । 

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