सुना है कि काशी का पक्का महाल क्षेत्र भी नवीनीकरण का शिकार होने जा रहा है । उसके प्राचीनता की तलाश करके क्या करेंगे पता नहीं । हाँ धुल धुंए का प्रकोप अभी भी वहाँ नहीं पहुंचा हुआ है शायद चैन में देखकर संतोष नहीं हो रहा है । पक्का महाल काशी की पहचान है ,,ये बहुमंजिली इमारतों का जखीरा इसकी पहचान नहीं है ,,दुनिया के कोने कोने से लोग इसी गलियों को देखने समझने आते हैं । गलियां काशी की असल राजधानी हैं । इसके प्रति जनास्था भी है । और आस्थाओं के लिए किसी प्राचीनता या नवीनता के प्रमाण पत्र की जरुरत नहीं है । नहीं तो कल दुर्गामंदिर की माता की प्रतिमा की भी जाँच करने की हिमाकत की जाने लगेगी ।
वैसे भी नक्कारे नगर निगम और घटिया प्राधिकरण से कत्तई किसी उम्मीद का खतरा मोल नहीं लिया जा सकता । पंद्रह बरस से पूरा शहर खुदा पड़ा है ,सारे अंतरी मंतरी संतरी हो हैसियत तो चले जनता की तरह एकाक हफ्ते मोटरसाइकिल से और पैदल ,उनके लिए तो एम्स और पीजीआई भी मुफ्त है ,,फिर जांच कराये,शायद फेफड़ा काम करना बंद कर चूका होगा ,,या अगले दिन से विकल्प नजर आएंगे । अतः इसके विरोध के लिए सबको आगे आना चाहिए ।
वैसे भी नक्कारे नगर निगम और घटिया प्राधिकरण से कत्तई किसी उम्मीद का खतरा मोल नहीं लिया जा सकता । पंद्रह बरस से पूरा शहर खुदा पड़ा है ,सारे अंतरी मंतरी संतरी हो हैसियत तो चले जनता की तरह एकाक हफ्ते मोटरसाइकिल से और पैदल ,उनके लिए तो एम्स और पीजीआई भी मुफ्त है ,,फिर जांच कराये,शायद फेफड़ा काम करना बंद कर चूका होगा ,,या अगले दिन से विकल्प नजर आएंगे । अतः इसके विरोध के लिए सबको आगे आना चाहिए ।