मंगलवार, 19 जनवरी 2010

बाहुबलियो का भारत

अभी- अभी विधानपरिषद चुनाव सम्पन्न हुआ है। पता नहीं राष्ट्र उसे किस निगाह से देख रहा है.सरे राष्ट्र वादी कहे जाने वाले लोग शायद थक चुके है या थम से गए है चुनाव परिणाम को देख कर.विचारणीय तथ्य यह है की छत्तीस विधान परिषद् केचुने हुए सदस्यों मेकिटने जमीन के है.क्या यह जनता के साथ राजनितिक छलावा नहीं है की इनाम से एक भिकिसी किसान का बेटा नहीं है.हम आरक्षण की बात करते है और आज समाज में जो धन बल का अनारक्षित आरक्षण फल- फूल रहा है .इससे लड़ने में क्या हम खुद को अक्षम नहीं परहे है.पूजीपतियों के लाडले जब संसद विधायक होंगे तो क्या खाक हम उनसे लाल बहादुर शास्त्री जैसे विचारो की उम्मीद रखते है/
क्या नीद सो रहे है हिन्दोस्तान वाले
खंदक में गिर पड़े है ऊचे निशंवाले

रजा तेरे कहा है योद्धा तेरे कहा है
दशरथ के राम लुक्ष्मन बके कमान wale

1 टिप्पणी:

  1. ha sir ye tho sahi hai ki aaj kal paisa walo ka ya phir satta walo ka hi jabana hi yahi dekhiye na jo kasmir hamari thi wo aaj sekh abdulla ka ho gaya hi esa prathit hota hai........

    जवाब देंहटाएं