बुधवार, 8 जनवरी 2014

 सेवा में
              श्री श्यामदेव राय चौधरी 
                 माननीय विधायक
                 शहर दक्षिणी 
                  वाराणसी 

महोदय 
           विश्व की प्रचीनतम  धार्मिक एवं पौराणिक  नगरी एवं शिक्षा की निर्विवादित राजधानी काशी को वाराणसी नाम देने वाली नदी असि बरसों से नाले की  गाली सुन शहर का गन्दा पानी ढोने  को विवश है  । इस के उद्धार हेतु कटिबद्ध शहर के युवाओं और बुद्धजीवियों का एक समूह असि बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले  सालों से संघर्ष कर रहा है । लेकिन क्षोभ कि दिन प्रतिदिन नदी में इमारतें तनती जा रही हैं । प्रशासनिक उदासीनता इस कदर जारी है मानो नदी की जमीन के कब्जे के लिए उनकी मौन स्वीकृति हो । एक तरफ पूरे विश्व में जल संरक्षण को बढ़ावा देने की बात होती है वही दूसरी तरफ नदियां ही पाटी जाती हैं । जिक्र करना लाजमी होगा कि इस नदी का अति धार्मिक और पौराणिक महत्व रहा है ,जिसका जिक्र महाभारत ,जवालोपनिषद ,वामन पुराण सरीखे तमाम धर्म ग्रंथों में है । धार्मिक महत्व से इतर यह एक तरफ बाढ़ काल में जहा शहर को जलभार से उबारती थी वही दूसरी तरफ जल स्तर को नियंत्रित करने में महत्व्पूर्ण भूमिका अदा करती है । इसे आज कही चुपचाप प्रशासन पाइप से प्रवाहित करने की जुगत में है तो कही ,,इसके किनारे पचास मीटर के दायरे को हरित पट्टी घोषित कर निर्माण प्रतिबंधित करने की बात कर पल्ला झाड़ लेती है । 
                  अतः आप महानुभाव से निवेदन है कि काशी की स्मिता और धार्मिक पहचान बरकरार रखने के हमारे इस पहल को नैतिक समर्थन व आशीर्वाद दें । जिससे नदी को उसकी धार और बहाव मिल सके ,,काशी सुरक्षित और संरक्षित हो सके । 

सधन्यवाद 


                                                                                                                          गणेश शंकर चतुर्वेदी 
                                                                                                                               (संयोजक )

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