मंगलवार, 24 जनवरी 2012

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में प्रशासन के निकम्मेपन की हदें

आजकल उत्तर प्रदेश में जहाँ देखिये वहां सिर्फ और सिर्फ चुनावी हलचल में सराबोर नजर आ रहा है,लेकिन प्रशासन चुस्ती और सख्ती के नाम पर सिर्फ और सिर्फ संविधान की बढ़िया उकेरने में लगा हुआ है। चुनाव संपन्न करने की शिचिता के बावत लगातार आ रही समस्याओं से जनता त्रस्त होती जा रही है। टी एन शेषन पूर्व मुख्या चुनाव आयुक्त ने जो वोटर लिस्ट को आम करने ढांचा बनाया ,उसकी खामियां आज बीस सालों बाद इस कदर बढ़ गयी हैं कि हाथ में मतदाता पहचान पत्र जोकि चुनाव आयोग द्वारा प्रदत्त है लिए प्रत्याशियों के समर्थक और प्रस्तावक जब कचहरी परिसर पहुच रहे है नामांकन के लिए तो उनका नाम वोटर लिस्ट में न होने कि बात कह उन्हें बेशर्मी से बैरंग वापस कर दिया जा रहा है। आप जरा सोचिये कि जब प्रत्याशियों के साथ जो कि निःसंदेह जागरूक मतदाता होंगे ऐसी घटनाये हो रही है तो आम मतदाता कितना परेशां होगा। इस सबके पीछे निश्चय ही धन और बल का खेल चल रहा है और चुनाव सही से संपन्न कराने के नाम पर ये सरकारी नौकर शाह आसानी से जम्नता को लूट रहे हैं ताकि जागरूक लोग आगे न आ पाए कानूनन उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया जाय और फिर वही घोटाले गर्दी बढ़े।

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