मंगलवार, 24 जनवरी 2012

मतदान या रक्तदान

हालाँकि ये कहना राष्ट्रद्रोह सरीखे है लेकिन एक बार निश्चय ही इस बात पर बहस हो जानी चाहिए की उत्तरप्रदेश में हो रहे चुनाव में मतदाताओं की स्थिति क्या है,ये वास्तव में मतदान है या रक्तदान। फिर मैंने कहा निश्चय ही मतदान कारण रक्तदान कर आदमी तुरंत दुसरे के कल्याण में सहयोगी हो जाता है साथ ही साथ ही रक्तदान की पीड़ा से भी मुक्त होता है लेकिन मतदान पांच साल कष्ट कारी होंगे। फिर मेरे भाव बदलते यहीं बाते आती है कि नहीं निश्चय ही यह भयावह रक्तदान है कारण कि आप के मत के माध्यम से आपके पांच साल तक खून पीने कि छूट जीतने वाले को मिल जाती है । पास बैठे राजनीती के पंडित एक मित्र ने कहा अरे भाईसाब मतदान नहीं मतदाम की बात करिए आज मजा तो कल के सजा की कौन देखता है। बैनर पोस्टर लाउड स्पीकर पर सबसे कम खर्च होते हैं उसपर सरकार के नजर टेढ़ी है,लेकिन उसका क्या होगा जहाँ खुले आम किसी कालेज के आँगन में बाटी चोखा खिला कर दक्षिणा बाटे जा रहे हैं।
बहरहाल मैं तो अब तक उधेद्बुन्द में ही हूँ की ये है क्या......रक्तदान या मतदान ....या फिर वही मतदाम ......अब आप ही अपना विचार दें।

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