रविवार, 20 मई 2012

जनसँख्या बढ़ने वाले तकनीकी विकास का परिणाम

आज निश्चय ही देश में मेडिकल साइंस ने अपना दायरा बढाया है,इससे मृत्यु दर कम हुई है,या यदि बिना आकड़ो के बात की जाय तो कम होनी चाहिए ,लेकिन दूसरी तरफ जनसँख्या की बेबाकी पर पुनः कोई रोक लगाने के लिए गंभीर नहीं दिख रहा है,जो की नसरी समस्याओं के जड़ में हैं। अब तक तो रोग से इलाज कर मरती जाने बचायी जाती थी जिसका प्रतिफल जैसा भी हो जो भी हो लेकिन बुरा कहने में हर आदमी संकोच करेगा। लेकिन आज सेरोगेसी ,टेस्ट ट्यूब बेबी ,स्पर्म सेलिंग ,जैसे प्रकृति के विपरीत विकास जनसँख्या को कहा पहुचाएंगे इश्वर जाने। इन कृत्रिमता से उत्पन्न संतानों से अभी तक तो मेरी भेट नहीं है,अगर काभी ऐसा पता चले तो वो अध्ययन के विषय होंगे।
पहले परिवार में चार भाई हो तो एक दो की शादी यु ही नहीं होती थी जो जाने अनजाने में जनसँख्या नियंत्रण का कार्य करती थी,लेकी अब सबकी शादी होगी और तो और अगर बच्चे पैदा नहीं होते तो प्रकृति को भी ललकारने की साडी विधा हम जूता लिए है,,,,इश्वर देश को सदबुधही दे ,आज बड़े शहरो में सेरोगेसी इत्यादि सुन रहा हु की कमाने का जरिया बनता जा रहा है,ऐसी आधुनिकता और ऐसे विकास को शत शत नमन।

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