सोमवार, 12 जुलाई 2010

कमजोरों के पास शोषित होने के अलावा और कोई रास्ता नहीं

गरीब ,गरीब होता है,कमजोर होता है,वह किसी जाति का नहीं होता ,किसी सम्प्रदाय का नहीं होता और न ही कोई धर्म उसे अपना कहने का फजीहत मोल लेना चाहता है। नेताओं में गरीबों को खरीदने की होड़ होती है ,और गरीब ,कभी तन ढकने के वस्त्र की खातिर,तो कभी पेट की आग बुझाने को ,आखे झुकाए स्वाभिमान के कडवे घूँट को पीकर बिकने वालों की कतार में खड़े होने को मजबूर होता है। कभी कोई अहमद गरीबी और मुफलिसी से विक्षिप्त हो अपने बच्चियों को मार डालता है तो कभी कोई गरीब अपने कमजोरी के गम को जहरीली शराब में घोल के पीने के प्रयास में दुनियां से विदा ले लेता है। प्रशासन भी जो जेब काटते हुए पकड़ा जाता है उसे मार के मुआ डालने को होता है और जो हत्या करके जाता है उसके लिए जेल की कोठरी में भी झकाझक वातानुकूलित व्यवस्था और पञ्च सितारा होटलों के व्यंजन और महंगी विदेशी शराब ,और क्या-क्या नहीं परोसता।
ऐसे में देश के राजनेताओं का रवैया देख तबीयत दंग रह जाती है कि क्या ये भी मनुष्य ही हैं। अब किसी नेता के आंसू नहीं टपकते ,किसी गरीब कि गरीबी पर,अब किसी मंत्री कीनिगाह नहीं पहुचती किसी गरीब झोपडी में ,निगाह पहुचती है तो बस इस पर की वोटर है की नहीं,यदि नहीं तो उसे कितना जल्दी वोटर बनवा दिया जाय और फिर उसके भूख से तड़पते कमजोर कन्धों पर झूठा और घिनौना हाथ रख चाँद रूपये में या दारू की कुछ बोतलों में उसकी गरीबी को अपने राजनैतिक बेसन में लपेट कर पकौड़े बनाकर अपने चखने का इंतजाम किया जाय। देश में कोई भी योजना बनाई तो इन गरीबों के नाम पर जाती है लेकिन उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इनके आलमारियों की शोभा बढ़ा रहा होता है।
तो क्या इन अमीर राजनेताओं के बस की बात है देश के गरीबों की गरीबी को समझना और उसे दूर करना तो कत्तई नहीं । इसके लिए अगर पहल की जरूरत है तो आम आदमी की। उसके लिए अलग से कुछ बहुत करने की भी जरूरत नहीं है,सिर्फ और सिर्फ एक सोंच विकसित करने के। हमारे आप के घरों में बहुत ऐसे कपडे होते है जो हम पहनते नहीं वो सिर्फ हमें पुराने यादों के अलावा कुछ भी नहीं देते ,उन कपड़ों को अगर किसी गरीब की झोपडी तक पहुचा दिया जाय,जिससे किसी का तन धक , घरों के उन गैर जरूरी सामानों और भोज्य पदार्थों तक को किसी गरीब को मुहैया करा दिया जाय तो वो दिन दूर नहीं जब इस कड़ी में वो सामान्य जन-जीवन से परिचित हो अपना जीवन स्तर उठा सकेंगे और सही मायने में अपने विकास को समझ सकेंगे। और गरीबों के नाम पर इन राजनेताओं को देश को लूटने का मौका भी नहीं मिलेगा । वश जरूरत है तो एक अनूठे पहल की अन्यथा ये तो शोषित होने के लिए जन्म ही लिए हैं । तो आगे हाथ बढ़ाइए .........क्योंकि
कौन कहता है कि आसमा में छेद नहीं होता ,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों ।

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