गुरुवार, 17 मार्च 2011

युवा बस राजनैतिक उपयोग की विषयवस्तु

आजादी के बाद देश में यूं तो कोई आन्दोलन हुआ नहीं ,जो छोटे -बड़े आन्दोलन हुए वो देर-सबेर मिथ्या स्वार्थों के कालजयी कहानियां बन कर रह गए। लेकिन जेपी आन्दोलन की अगर हम बात करे तो उसे सबसे सफल आन्दोलन कहा जा सकता है क्योंकि यह उस आन्दोलन की ही देन थी कि ,अंग्रजों के बाद सबसे लम्बे गैर अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेकने का काम किया था। उसमें भी युवाओं का सबसे बड़ा योगदान है । उसके बाद जब-जब कोई राजनीतिक पार्टी अपने अस्तित्व के खतरे से जूझ रही होती है तब-तब उसे युवा ही दीखता है । जबकि सच यह है कि उस तथाकथित युवाओं के सरकार बमें भी अगर कोई छला गया तो युवा। आज कांग्रेस उसी तर्ज पर युवा का झंडा ऊचा करने का नाटक किये हुए है। छोटे नेता इस पार्टी के तो चिल्लाते है कि युवाओं को सबसे बड़ी जिम्मेदारियां दी जाएँगी लेकिन मुखिया को अभी भी बुद्धे किरदारों पर भरोसा है जो पार्टी को बीसों सालो तक गर्त से बहार नहीं आने दिए। अतः ऐसे खतरनाक मोड़ पर युवाओं को खुद अपनी औकात का अंदाजा होना चाहिए वो जो चाँद पैसे और अखबारी तस्बीर कि खातिर किसी का झंडा बुलंद करते फिरते है ,इसके भविष्य पर भी विचार होना चाहिए अन्यथा युवा सिर्फ और सिर्फ कुर्ताधारियों के उपयोग कि विषयवस्तु बनकर ही रह जायेगा।

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