इस दो अक्टूबर को फिर गाँधी जयंती गाँधी के तथाकथित मानस पुत्रों द्वारा मनाया गया ,खूब हरे-राम के धुन बजाये गए,जो जितने पैसे वाला वो उतना देर तक बजाया ,जो जितने ताकतवाला वो उतने शोर से बजाया,और जो जितना बड़ा चोर था वो उतना दिल खोल कर बजाया। डर लग रहा था की कही कब्र से बाहर निकल कर गाँधी बाबा भी नाचने न लगें नहीं तो ये बड़े सामाजिक कारीगर पकड़ लिए जायेंगे,वैसे तो देश में इनके लिए न तो कोई जेल है न ही कोई कानून,लेकिन ये तर्क जो अच्छा दे लेते है की गाँधी भी तो कानून तोड़ते थे ,नमक कानून तोड़ डाला,अंग्रेजों के हर नियम का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया ,और हम उन्ही रास्तों पर चल रहे हैं ,तो बुरे क्यों,बात में तो जान है । जब ठेले पर हिमालय हो और चुल्लू में हो गंगा ,मुट्ठी में संविधान हो ,तो गाँधी क्यों न हो नंगा।
चलिए अब हम भी रंग जाये इसी रंग में और थोड़ी गाँधी के मन वाला नखरा कर के उन्हें सलाम कर दें...........
जय गाँधी ,जय भारत ।
"Parivartan sansaar ka niyam hai "ye bhagwaan krishna ne geeta me kaha hai.Lekin kitna parivartan karna hai ye kaise maloom padega.Kya Geeta aur Bhagwaan ko bhi parivartit kar diya jae...Jiske liye Gandhi ne chori kiya wo hi gandhi ko char bolenge to achha nahi hoga...
जवाब देंहटाएंdhanywad guruji
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