यूं तो भ्रष्टाचार के सवाल पर बोलना महापाप हो गया है क्योंकि इस सवाल पर बोलने वाले मुह तो अनेकानेक है पर कान शायद बंद हो चुके हैं। पूरे देश में इस महातत्व का बोलबाला है। लेकिन उत्तरप्रदेश में तो स्थितियां कुछ अलग ही हैं। मुख्यमंत्री मोहतरमा मायावती मानो कुशल रक्षिका की भूमिका निभा रही हों।
गजब हाल है एक पुलिस का आला अधिकारी चिल्ला -चिल्ला कर कह रहा है की सरकार सरेआम भ्रष्टाचार कर रही है ,इतना ही नहीं वो इस कदर रुष्ट हुआ की अपनी बलि तक चढ़वाने को तैयार है,और सरकार कहे नहीं अघा रही है किवो पगला गए हैं। एक आला अधिकारी डिप्रेसन में चल रहा था तो क्यों,क्या कारण था क्या इसका जवाब सरकार ने बटोरे है,नहीं भी बटोरे होंगे तो कल तक बटोर लेंगे। अब देखना है की अब तक जो भी इस सरकार के खिलाफ मुह खोलने की हिम्मत जुटी है किसी न किसी बहाने जान गवाई है,अब देखने है क्या हश्र होता है डी डी मिश्र जी का। कही उनको भी रास्ते से हटा कर अपना तिलिस्म साफ न करे साहिबा। यूं तो अपराध पर उनकी पकड़ को नाकारा नहीं जा सकता लेकिन अगर यह कहा जाय की उसका कारण यह है की या तो माफिया लोग उनके बन कर रहेंगे या नहीं रहेंगे के रिश्तों पर ही प्रदेश चल रहा है तो बहुत गलत नहीं होगा। वैसे सब कुछ भविष्य के हाथ में है भला हो बिचारे डी डी मिश्र जी का..............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें