का हो नारायण अरे तोहार लईकवा पवलस की नाही,,,नारायण गुरु पीछे देखे ,,,सबेरे सबेरे तोहके मजाक करे क सौख चर्रायल हउ ,,,,,साफ साफ बतावा न ,,,मुन्नू पंडित टाईट ,,,,अरे कलिहा बेरोजगारी भत्ता बटल ...तोहरो चेलवा त फरामावा भरले होई न।अब का नारायण गुरु फायर ,,,अरे इ साला खली नौटंकी किले हवे जैसे अपने बाप के घर से देत होय ,,,हमर लैकावा सच्चों में बेरोजगार हौ ओके काहे मिली भाय ,,,,इ साला पैसवा क चेकवा जेके जेके मिलल का कुल बेरोजगारे हवे ,त अब तक घोटात का रहलन ,,,सकल अखबार में देखले से न लगत हा की इ सब खिले बिना टूटल हवे ,,,, आपन रोजी रोजगार क जुगार सब के हौ ,,,प्राइवेट नोकारियो वाले भरले हवे फ़रम खूब पैसा मिळत हाउ,,,इ देशवे ऐसे जेतना इ खैरतवा बाटे वाले क अधिकार हौ ,देशवा पर ,वोटने कैरात्वा लवे वालन क भी बा ,,,लेकिन ऐसे खुश होत हवे पैसा पाके जैसे,,,,,,,इ देशवे बिक जी ये बतौवल में ,,,,,मुन्नू पंडित चापे ,,,,बा रजा तोहरे बेतवा के ना मिलल त बौद्धिक शुरू ,,,,,
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