शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

चरित्र बनावे वाले के चरित्र क के गारंटी लेई 
 मटरूवा झोरा में तरकारी लेहले भुनभुनात भय जात रहल की साला अख़बार पढ़ल दुसुआर हो गयल हौ जेहर देखा ओहर हर पन्नवे पर खाली दुष्कर्मै दुष्कर्म दिखत हौ ।अब इ नया तरीका खोज्लन कुल की जे इमे धराई वोकर चरित्र परमान पत्तर रद्द हो जाई ।एक बात नाही समझ में आवत हाउ की जेकर जेकर जब जब चरित्तर बनल ओकरे चरित्तरा क खोजो भयल का ? त  जेके दे भयल हवे ओकर का होई अ दूसर बात इ की जे चरित्तारवा बनाई वोकरे चरित्तरा क के गारंटी लेई।तब ले मटरू क झोरा गिरा ,कुल छिम्मी नीचे गिर गईल ,मटरू भड़के ल इहो आपन चरित्तर देखी देहलस।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें