बुधवार, 10 मार्च 2010

अर्थहीन शिक्षा -प्रणाली को थोप रहे हैं-सिब्बल साहब

शिक्षा किसी भी समाज का सबसे महत्व पूर्ण अंग होता है,और इसके मूल-चूल ढांचे में बिना सोंचे समझे परिवर्तन कभी भी गर्त में दल सकता है /एक रटा -रटाया सूक्ति कि शिक्षा के लिए लोर्ड मैकाले कि शिक्षा नीति जिम्मेदार है,कहकर लोग अपने कर्तव्यों कि इतिश्री कर लेते है/अगर अब भी शिक्षा के लिए वही मैकाले का राग आप अलाप रहे हैं तो आजादी के साथ सालों बाद देश के कर्ता-धर्ता अभी तक क्या खाक अपने को विद्वान कह जनता को भ्रमित करते हैं/कही भी अगर पुल जीवित है तो कब का बना ,पता लगा कि अंगरेजों के हाथों का,स्कूल सबसे अच्छा तो क्वींस कॉलेज कारण अंगरेजों का, अनाथालय अंगरेजों का ,जेल भी उन्ही के हाथों का ,अब शिक्षा नीति भी उन्ही कीअपनी गलतियों को छिपाने का एक नायब तरीका,/
आज भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल साहब शिक्षा के परिवर्तन में लगे हुए हैं/इसी क्रम में उन्होंने सी बी एस सी बोर्ड के स्कूलों में कक्ष नौ की परीक्षा का भी जिम्मा बोर्ड को पकड़ा दिया पेपर तो वह से आये ,सारे स्कूलों को एक व्यक्तिगत कोड दिया गया जिससे पेपर उपलब्ध हो जायेगा/सारे स्कूलों के परीक्षा की डेट एक राखी नहीं गयी ,और परिणामस्वरूप हर स्कूल का पेपर एक दम एक जैसा है बच्चों की चांदी ही चांदी/दस साल पहले यूं पी बोर्ड ने यह उपक्रम चलाया था जो सुपर फ्लाप घोषित हुआ था यद्यपि इससे सफल था,तो ध्यान देने की जरूरत है नहीं टी बच्चे तो तू डाल-डाल- तो मैं पात -पात की राह चलने पे विश्वास रखते है/

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