शनिवार, 27 मार्च 2010

पेड़ों की कटाई का जश्न जरी फिर भी पर्यावरण सुधार सुरजोरों पर

सैकड़ों हजारों बुध्ह्जीवियों के बीच बनारस में रोज पेड़ों की कटाई जारी है पर हर व्यक्ति इंतजार में है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बाधे/बी एच यू जैसी जगह पर भी बिल्डिंग बनाने के चक्कर में रोज पेड़ कटे जा रहे हैं और विभाग हरियाली कि गाथा गाने में मशगूल है.इस परिसर कि पहचान यहाँ कि हरियाली थी जिसे गाहे-बगाहे कटाने का अवसर ढूढ़ा जाता रहा है. वो दिन दूर नहीं जब विश्वविद्यालय कंक्रीट सेल में तफ्दील हो जायेगा.हॉस्टल जरूरत है इसे नहीं नाकारा जा सकता लेकिन इसको पुराणी बिल्डिंग कि मंजिलों को ऊंचा करके भी तो किया जा सकता है फिर ये पढ़ी लिखी गलती क्यों?
दूसरा हर जगह रोड बन रहे हैं शहर में भी और शहर के बाहर भी.कहीं भी रस्ते में पेड़ आया तो बे झिझक सरकारी कम का हवाला देते हुए लोग इसे काटते फिर रहे है.अभी रथयात्रा चौराहे पर पेड़ कटा,गोल्गाद्दा में बस स्टैंड से थोड़े पहले का नीम का पेड़ कटा,ऐसे सैकड़ों पेड़ रोज कट रहे हैं और सरकार तमाशगीर बनी हुई है।
अतः होश में आओ भाई नहीं तो ऐसे ही एयर कंडीसन ने गरीबों कि गर्मी बढ़ा दी है शायद सरकार नहीं चेती तो उनसे आक्सीजन भी छीन जायेगा,बड़े लोगों का क्या है उनके सेहत पर तो असर पड़ना नहीं है लेकिन अस्सी प्रतिशत देश के लोग गरीब ही है जो कि गावों में ही शहर तलाशते है/तो देर किस बात कि हाथ बढ़ाये इस पुण्य काम की ओर बचा लें देश को जलने से /

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