रविवार, 8 अगस्त 2010

फिर शुरू हो गयीं विदेशी गुलामी के खात्में और देशी गुलामी के जश्न की तैयारियां

देश अपनी तथाकथित आजादी का चौसठवां सालगिरह मनाने को आतुर है। कही परेड की तैयारियां तो कहीं मुर्दे खंगाले जा रहे हैं। आये दिन अब एक हफ्ते तक आपको अखबारों में किसी शहीद के कारनामों की गूँज सुनाई पड़ेगी। ले देकर एक हफ्ता तक चलना है ये सिलसिला फिर सब शांति की कोखमें समा जाता है।

कड़वा जरूर है पर बड़ा ही सच कि विदेशी गुलामी तो ख़त्म हुई आज के दिन यानि १५ अगस्त १९४७ को लेकिन देशी गुलामी कि नीव भी तो आज के ही दिन पड़ी। आप कह सकते हैं कि वो क्या जाने गुलामी का मतलब जिसने इसको ...............................

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