देश अपनी तथाकथित आजादी का चौसठवां सालगिरह मनाने को आतुर है। कही परेड की तैयारियां तो कहीं मुर्दे खंगाले जा रहे हैं। आये दिन अब एक हफ्ते तक आपको अखबारों में किसी शहीद के कारनामों की गूँज सुनाई पड़ेगी। ले देकर एक हफ्ता तक चलना है ये सिलसिला फिर सब शांति की कोखमें समा जाता है।
कड़वा जरूर है पर बड़ा ही सच कि विदेशी गुलामी तो ख़त्म हुई आज के दिन यानि १५ अगस्त १९४७ को लेकिन देशी गुलामी कि नीव भी तो आज के ही दिन पड़ी। आप कह सकते हैं कि वो क्या जाने गुलामी का मतलब जिसने इसको ...............................
poora balogwa nahi dikhai pada ..isko ke bad.. gayab hai ..poora nahi kiye ka malik ..poora kijiye ya bataiye kaise poora padhenge ..- umapati
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