रविवार, 16 जनवरी 2011

आदर्श सोसाइटी की बिल्डिंग गिराने को दूसरी बड़ी गलती कही जा सकती है

भारतवर्ष विभिन्नताओं से भरा अजीब देश है। यहाँ की चोरियों में भी विभिन्नताएं अपना साथ नहीं छोडती हैं। अब आदर्श सोसाइटी को ही ले लीजिये। ये जमीन महाराष्ट्र सरकार से आदर्श सोसाइटी के लोगों ने कारगिल के शहीदों के परिवारवालों को मुफ्त आवास आबंटित करने हेतु हाशिल किया था। महाराष्ट्र सरकार भी जमीन देने के बाद शायद घोटाले का इंतजार कर रही थी । फलतः किसी भी एक शहीद के परिवार को तो ये आवास नहीं मिले अलबत्ता देश के कई आला अधिकारियों और नेताओं को छांव देने का शुभ अवसर इस ईमारत को मिला। संयोग से ये पोल इतना बड़ा हो चुका था कि इसको खुलना ही था ,जिसमें मुख्यमंत्री पद तक की न सिर्फ गरिमा धूमिल हुई अपितु इसको बलि भी चढ़नी पड़ी।ये तो रही एक गलती काश,शुरू से ही निगाह रखी गयी होती तो परिदृश्य कुछ और होता।
दूसरी बड़ी गलती न्याय पालिका के आदेश से होने की उम्मीद है,चर्चा हो सकता हो अखबारी मात्र ही हो,खिलाडी लोग अपना कार्य यहाँ भी कर चुके हों,लेकिन इसे बुलडोजर चढवा कर गिरवा देने का आदेश कितना न्यायसंगत दिख रहा है यह निश्चय ही विचारणीय है। जब सभी जान गए कि इसमें गलत नाम से आबंटन हुआ है तो क्या सरकार के पास कारगिल के शहीदों कि लिस्ट गायब हो गयी है। और क्या आबंटन में नाम नहीं बदले जा सकते ,जब सब कुछ अपने हाथ कि चीज है तो इतनी बड़ी ईमारत को गिरवा के राष्ट्र का अरबों-खरबों रूपया बर्बाद कर देश को गरीबी के कब्र में क्यों खीचा जा रहा है । न्यायपालिका कि बात करे तो क्या भारत में विदेशी न्यायपालिका काम करती है। अतः निश्चय ही इस भवन को गिराने का निर्णय और बड़ी गलती होगी,और न खेलेंगे न ही खेलने देंगे कि मानसिकता वाले कटु स्वार्थी विचारवादियों को और बल मिलेगा जो राष्ट्र हित में कभी भी उचित नहीं होगा।

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