भारतवर्ष इस छबीस जनवरी को अपना ६२ वां गणतंत्र मनाने की तैयारियां लगभग पूरी कर चुका है। फिर लड्डू बटेंगे ,राष्ट्रगान होंगे ,लम्बे चौड़े भाषण होंगे,कुछ शहीदों को याद किया जायेगा , रश्मों में कुछ कशमें होंगी ,कुछ वायदे होंगे ,किसी त्यागी महानायक का गुडगान होगा और अंततः मन ही जायेगा संविधान पर्व।
लेकिन एक बात आज संचार माध्यमों में ब्यापक क्रांति आई है ,नाग पंचमी से लेकर खिचड़ी तक के त्योहारों पर मेसेज भेजने वालों की एक लम्बी कतार होती है। लेकिन मजा आता है देख कर कि इस राष्ट्रीय महापर्व को हम मनाते तो हैं ,लेकिन उसी विदेशी अंदाज में जिनको भागने कि खुशियाँ हम इजहार करते हैं। लेकिन चलिए हर बात में बाल कि खाल नहीं निकालते ,झूम ही लेते हैं तिरंगे कि खातिर ,हो ही लेते है फिर से बसंती मदमस्त ,बसंत के बयार में ।
शुभ गणतंत्र,शुभ भारतकी ,हर सुबह शुभ हो के ढेरों कामनाओं के साथ -जय हिंद,जय भारत।
India apne aap me ek alag hi mishal hai..
जवाब देंहटाएंisse pahle jaisa ek acha invornment paida kare...
aur jati-pati, dahej pratha, bhrstachar se mukt ho hamara desh...
kisi ko kuchh dene ki echcha ho,to aatm vishvas jagane wala protasahan sarvotam upahar ke rup mai de.
जवाब देंहटाएंsir,hume samay ke sath badlana bhi to jaruri hai na. yadi aaj hum samay ke sath na badalate to aaj hamara desh vikas shil deshon me nhi gina jata.
जवाब देंहटाएंindia apne ap me adhubudh hai aur sir apne ne jo likha hai wo bhe kamal ka hai .sir hum sabko samaye ke sath badlna bhi to jaruri hai.agar hum samaye ke stah nahi badlte to aaj hamara desh in vikash ke uchaeo ko kaise pata.u r great sir and ur mentality is also great i am proud to u feel u r my teacher.
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