गुरुवार, 6 जनवरी 2011

आधुनिकता के अंधेपन में बचपन से खिलवाड़

आज निश्चय ही हर कोई तिख्हे दौड़ लगाने को तैयार है ,जिससे समय से पहले उसे मुकामी बोरा मिल जाय। इसमें कभी-कभी निरुद्देश्य गतिशीलता भी देखने को मिलती है। आज एक और होड़ लगी है की किसका बच्चा कितने पहले बचपन को पीछे छोड़ दे। जी हा समझ गए तो ठीक-ठीक नहीं तो स्पस्ट करना चाहूँगा की अभी कुछ दिन पहले गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराई एक लड़की सुर्ख़ियों में थी ,कारण की वह बारह वर्ष की ही थी और उसे स्नातक में प्रवेश मिल गया था ,निश्चय ही वह पढने में अच्छी होगी या कहें असाधारण होगी। परिवार वाले बहुत खुश तो होंगे ही जाहिर सी बात है,पर उसके बचपन का क्या होगा क्या उस पर कोई विचार हुआ,एक चीज,दूसरी बात की एक तरफ सरकार दसवी पास तक के लिए भी उम्र सीमा निर्धारित कर रखी है फिर ये लड़की किस आधार पर इतने कम उम्र में ये सब कर ली,शायद ये सरकारी गलती है या फिर कोई विशेष सुविधा और नियम जिसके विषय में सामान्य जन अनभिग्य होते है। या तो ऐसे नियम को बंद किया जाय या फिर इसे सार्वजनिक किया जाय जिससे बहुत ऐसे लोग है जो पालने में ही अपने सपने को रूप देना चाहते हैं,उन्हें भी रास्ता मिल जायेगा।
दूसरी तरफ बाल श्रम अधिनियम को बचपन बचाने का असली बाना समझने वाले सरकारी लोग का ऐसी खबरे नहीं पढ़ते,क्या बारह साल के बच्ची को बीस साल के पाठ्यक्रम पढाना बालश्रम की विषयवस्तु नहीं है। एक बच्चे के बचपन के साथ तो दोनों ही स्थितियों में खिलवाड़ होते है,अंतर ये है एक का शोषण सडक पर चाय-पान की दुकानों और होटल,रेस्टोरेंट्स में होता है तो दुसरे का अपने बहुमंजिली ईमारत में अपने मां-बाप ,और शिक्षक के द्वारा होता है। अतः ,ऐसे ढोंगी विकास कोरोकने की निश्चय ही पहल होनी चाहिए क्योंकि बोनसाई आम के फल देखने के लिए ही हो सकते है ,खाने भर के लिए तो भरा-पूरा पेड़ ही फल उपलब्ध कर सकता है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. haan ganeshji yeh pratiyogi samaz bachho pe dabao dalkar unka shoshan karta hai lekin samaz me gaur se dekhiye to bina pratiyogita ke ek saans lena bhi sambhav nahi hai.To aab yeh nirnay aapko lena hai ki bachhon ko kitna bachpan aur kitni tarakki karni hai.

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  2. aap thik kah rhe hai sir.es kam me ek do logon ke sath ki nhi blki hamare pure desh ko ek sath milkar bachcho ka bachapan bachane ke liye tan, man,dhan se apni puny sahanbhuti ke sath es shubh kam ko pura karne me sahyog dena chahiye....

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