गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

आखिर भारतीयों का भारत कहाँ है

आजादी का सातवा दसक पूरा कर रहा हमारा राष्ट्र अभी भी जहा का तहा दिख रहा है उसका कारण की हम बटती हुई मिटटी का कण बन हमेशा बटने बटाने को आतुर होते है / महाराष्ट्र मराठियों का है बेशक ,बंगाल बंगालिओं का है ,आसाम आसामिओं का तो भारतीयों का भारत कहाँ है?जिस दिन मुंबई में ब्लास्ट हुआ था उस दिन आखिर कहाँ थे ये राष्ट्रीय धरोहर लोग जिनके दिमाग खँडहर से हो गए है /वे उस दिन क्यों नहीं कहे की सैनिक जो राष्ट्र भावना से कम कर रहे थे, मरने मारने पे उतारू थे ,अपने प्राणों की आहुति देकर लोगों को बचाए, वे मराठी होने चाहिए/भरी संकट है बच्चे बिगडैल हो जाते है तो गार्जियन सुधारने का काम करता और यहाँ तो गार्जियन की ही बुध्हि घास चरने गयी है /अरे ये तो मानसिक क्षुद्रता की बात है हमारे तो संस्कार में है अतिथि देवो भव/और हम अपने घर में घर का तो छोडो अतिथि का भी सत्कार नहीं पा सकते/ बनारस में तो सारी दुनिया के लोग बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आते है अतः क्या हम अपनी भाषा जबरदस्ती उनपर थोप के उनपर अपनी भाषा सिखने और उनको गलत ढंग से शोषित करने की शर्मनाक जिम्मेदारी ओढ़ ले/
इन राष्ट्र विरोधी लोगों के खिलाफ तो सीधे पोटा लगा कर इनको काल कोठरी हमेशा के लिए स्थापित कर देना चाहिए जिससे कम से कम किसी और की हिम्मत ऐसी राष्ट्र विरोधी नीतियों में लिप्त होने की नहीं होती /ये तो मानसिक आतंकवाद फैला रहे देश के अन्दर फल फूल रहे बड़े आतंक वादी है जिनका खुली सडको पर घुमं कत्तई खतरों से खली नहीं है/अनुरोध ही नहीं अपील है सरकार के गृहमंत्रालय और प्रधानमंत्री से की तत्काल प्रभाव से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर इनको अन्दर का रास्ता दिखाएँ /जिससे माँ भारती की आत्मा लहूलुहान होने से बच जाये /

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