शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

गाँधी के सिद्धांतों की अनदेखी कर रहे गाँधी के नाम पर राजनीती करने वाले लोग

आइन्स्टीन ने सच ही कहा था की आने वाली पीढ़ी विश्वास नहीं कर पायेगी कि गाँधी कोई हांड-मांस से बना व्यक्ति था /राष्ट्र के इस महँ साधक ने एक नई दिशा दी ,एक नई जीवन पद्धति दी, लेकिन आज उनके नाम पर राजनीती करने वाले लोग ही उनके सिद्धांतों कि धज्जियाँ उड़ा रहे हैं /
गाँधी गरीबों के लिए लड़े,कमजोरों के लिए मरे लेकिन आज के लोग उनकी नाम और दर्शन का खुलेआम पोस्त्मर्तम करने पर लगे हुए हैं/किसी भी सामान्य व्यक्ति कि तिन मूलभूत आवश्यकता भोजन ,वस्त्र और मकाँ उनसे दूर हो रही हैं या तो कर दी जा रही हैं/चंपारण क़ी लड़ाई को ही लें तो गाँधी ने सामान्य किसानों के लिए वहां वर्षों बिता दिया /आज उन्ही के कुनबे के कहे जाने वाले गरीबों का गला कट रहे हैं /चीनी क़ी कीमत,चावल ,दल तेल अन्य सरे खाद्य पहुच से बहार हो रहे हैं./पहले कीमतें एक रूपया बढती थी आज इतनी बढती है क़ी दुकानदार शर्मा जाता है इसको बताने में/गैस क़ी ही चर्चा करे तो रसोई गैस क़ी कीमत सौ रूपया बधाई जाएगी/ ये कैसा मजाक है गरीबों क़ी गरीबी के साथ ,अब मन जाओ अरे अब तो रिश्तों में भी बात लेन लगी है तेरी ये महगाई /अपने पुरखों क़ी लाज बचालो,प्यारे नहीं तो कंडे भी नहीं मिलेंगे आंसू पोछने को/और मिशन २०१२ का अंत हमेशा हमेशा के लिए हो जायेगा २०१० में ही /
हो सकता है गरीबों क़ी दुआएं फिर आपको संसद में सत्तासीन कर ही दें /

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