खूब मजा आया ठाकरे परिवार को अपनी शेखी बघारने में की मुंबई अकेले उनके वालिद की संपत्ति है जहाँ हर कोई मुह नहीं मार सकता /राहुल गाँधी का खुलेआम लोकल ट्रेन में विचरण करना,ऊपर से शरद पवार का उनके घर पहुच जाना ,अब दिखाओ न भाई अपने दरवाजे को काले झंडे /कहाँ चली गयी सब हेकड़ी/
लेकिन हाँ एक बात तो विचारणीय है कि देश में और भी बड़े और अनुभवी कहे जाने वाले नेता है जो हमेशा बयां जरी कर कर कान पका देते है ,उन्होंने कभी इस हिम्मत भरे काम का लुत्फ़ उठाने का प्रयास क्यों नहीं किया ?क्या ये सारे लोग केवल जबानी घोड़े छोड़ने और जनता को अपनी मीठी झूठी बातों में बाधने के लिए ही धरती पर अवतरित हुए हैं/इससे एक बात तो साफ जाहिर है कि देश युवा पीढ़ी चला सकती है,और राष्ट्र विरोधी ताकतों का वे जवाब भी दे सकते हैं/फिर कब्र में पैर लटकाए ये ब्रिध्हाश्रम कि धरोहरें हसते-हसते अपनी राजनितिक विरासत अपने युवाओं को सौंप कर एक कुशल सेना नायक का काम क्यों नहीं करते?
राष्ट्र त्याग और बलिदान के जोश के संघर्ष से गतिशील होता है न कि स्वार्थ कि लुट -पुट विचारधारा से/अतः कुछ हो या न हो ठाकरे बंधुओं का मिथ्या अभिमान तो टूट ही गया,और नेप से गए अपने कुनबों के रसोई ने/हा हा हा पड़ी मार शमशेरण की तो महाराज मै नाई हूँ हूँ और हूँ /
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