आज कल कांग्रेस के तथाकथित युवराज आई आई टी और मैनेजमेंट कोलेजों में युवा चेहरे ढूंढ रहे हैं जो उनके बताये गए रास्ते पर चल कर राजनीती कर सकें .देश में लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत छात्र सब्घों के माध्यम से तेज -तर्रार लोग अपने विचारों के साथ जब देश की विकास को गति देते थे तो बात समझ में आती थी लेकिन ऐसे छात्र सिर्फ और सिर्फ छात्र होते थे वो किसी विभाग विशेष के नहीं होते थे,और अब फिर अगर उनकी जरूरत समझ में आ गयी है तो छात्र संघों पे लटका टला क्यों नहीं खुलवा देते जनाब .मैं छात्र संघों की कत्तई तरफदारी नहीं कर रहा लेकिन आप ये तनी जानिये की बेंगलूर और डेल्ही के इन रईस जादों से देश नहीं सँभालने वाला। एक छात्र राजनीती से वाकई जुदा हुआ छात्र कैरियर बनाना छोड़ राष्ट्र बनाने का कम करता है अगर उसके सिर्फ गलत चेहरे पर ही ध्यान न दिया जाय तो।
तो अब राष्ट्र को इस स्थिति में पंहुचा दिया इस महान युवराज ने की इनको राजनीतिज्ञों का कैम्पस प्लेसमेंट शुरू कर दिया.अब ये बचपना सोंच छोडिये राहुल बाबू आप चालीस के हुए और लोग भी पता नहीं कैसी -कैसी उमीदें
आपसे पालने लगे हैं ,कम से कम इसका तो ख्याल रखा कीजिये।
राजनेता एक विचार होता है,एक संस्कार होता है ,एक प्रवाह होता है,एक धारा होता है ,पर्सनालिटी डेवलपमेंट का कोर्स पढ़ा के आप किसी को नेता नहीं बना सकते ,हाँ बहुत आपकी दया दृष्टि रही तो ,विधायक,सांसद भले ही बनवा सकते हैं.अतः ,अनुरोध है की राजनीती जैसे शब्द को और शर्मशार न कराइए और स्कूल-कोलेजों में जा-जा कर नेता ढूढने का नाटक बंद कर दीजिये ,अरे अभी तो सब कुछ होते हुए भी आपके हाथ में बहुत कुछ नहीं है ,और अभी ही आप जो -जो वायदा कर-कर के गरीब झोपड़ियों का सामाजिक मजाक उड़वा रहे हैं ,उनको वडा कर के तत्काल की सहानुभूति और प्रेम का पापड़ खा रहे हैं जाने के बाद उसमे से एक भी वायदा पूरा कर पाए क्या आप ,या आपको याद भी है क्या तो शायद नहीं तो आप तो खुद ही आश्वासन वाले नेता होते जा रहे हैं ,क्या वैसे ही लोगो की तलाश में लगे हैं क्या ?
very good
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