सोमवार, 27 दिसंबर 2010

सचिन और भारत रत्न

सचिन तेंदुलकर का नाम क्रिकेट प्रेमियों के अलावा भी लगभग हर कोई जानता है। इससे कत्तई नाकारा नहीं जा सकता कि सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट कि दुनिया में देश का सर ऊचा किया। लेकिन उनके नाम को राम नाम की तरह जो जपा जा रहा है कि उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए तो रत्नीय ख़िताब पहचान पाने के लिए होते है न कि पहचान पर आईएसआई मार्क लगाने के लिए। भारतीय सिनेमा के हरदिल अजीज अमिताभ बच्चन साहब कही सचिन कि पहल इस लिए तो नहीं कर रहे कि वो भी अपने को भारत रत्न कि कतार में आक रहे है।
मैं सचिन का या उनको भारत रत्न देने का विरोधी नहीं,लेकिन भारत रत्न कि अपनी एक गरिमा है,मै ये भी नहीं कहता कि सचिन उस गरिमा के उपयुक्त है या नहीं लेकिन इतना तो जरूर है कि ऐसे बहुत नाम है जो अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा किये है ,अगर सबको हम भारत रत्न दिलाने कि मांग करने लगे तो शायद संभव नहीं होगा। वैसे भी सचिन किसी पहचान कि मोहताज नहीं है और न ही भारत रत्न के रूप में मिलनेवाले धन का उनके सामने कोई हैसियत है,ऐसे में सचिन कि चुप्पी या तो ये मान ली जाय कि वो भी इस तमगे कि आस में बैठे है अन्यथा उन्हें खुद कह देना चाहिए कि मुझे भारत रत्न नहीं चाहिए जिससे उनका कद और भी बड़ा हो जाता। भारत रत्न मुफलिसी में जी रहे छोटो को बड़ा बनाने के लिए उपयोग में लाना ही न्याय संगत है।

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