मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

नव प्रभात के सुरमयी आगाज का स्वागत

कलुष-भेद तम हर प्रकाश नव ,जग-मग जग कर दे........फिर आया नूतन बरस पर खुशियों के बरसने और बरसाने का अद्भुत अवसर। अपने गलतियों को साल भर बाद याद करने का ,उससे और उसमें क्या खोया और क्या पाया से सीख लेने की नाटक करने का ,और फिर एक-एक दिन करके पुराने ढर्रे में ढल जाने का। वैसे अपने देश भारत वर्ष के बीते वर्ष पर अगर एक नजर रखी जाय तो पाएंगे की पूरी तरह से बीता साल भ्रष्टाचार को समर्पित रहा और महगाई को। घोटालों की लम्बी तादात की गिनना मुश्किल,कितनो की तो अर्थ भी समझ पाना कठिन।
लेकिन क्या हुआ,फिर नया साल अपने समय पर पहुच गया है,जरूरत है तो अपने गलतियों को स्वीकार करने की,यद्यपि ये हमारे देश के राजनेताओं के शब्दकोष में नहीं। फिर भी शायद देर सबेर होश आ ही जाय। बाकी घोटालेबाजों को घोटाले मुबारक,गरीबों को उनकी गरीबी मुबारक तो शरद पवार को प्याज औरन्य खाद्यों की महगाई मुबारक। प्रधानमंत्री को जेपीसी मुबारक तो सोनियां जी को अध्यक्षी मुबारक। सब अपनी मुफलिसी और अस्तित्व के संकट में ही सही एक बार ही सही बोल,दे सुस्वागतम,क्योको फिर भी थर्टी फर्स्ट मानेगा और लोग थिरकेंगे। नक्सली घटनाओं में हताहत और आये दिन अपने सरकारी विकास के खाते में ब्लास्ट की घटनाओं को सजोये सरकार की हर पहल मुबारक। तो आइये कराहों के बीच ही सही फिर से बोल ही दिया जाय.............नूतन वर्षाभिनंदन । जय हिंद।

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